अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो आपने Fundamental Analysis के बारे में सुना होगा की ये कंपनी के फंडामेंटल मजबूत हैं या फ़ण्डामेंटली कमज़ोर कंपनी हैं Fundamental Analysis किसी भी कंपनी की Financial Health के बारे में बताता हैं तो इस ब्लॉग आर्टिकल में हम Fundamental Analysis के बारे में जानेगे !!
Fundamental Analysis क्या होता हैं|What is Fundamental Analysis
अगर आप किसी कंपनी की Intrinsic Value का पता लगाना चाहते हैं अथार्थ उस कंपनी के अंदर कितनी वैल्यू हैं या उसका कितना फ्यूचर पोटेंशियल हैं जो कई बार उसके स्टॉक प्राइस में नहीं होता और कई बार स्टॉक का भाव उसकी वैल्यू से ज्यादा होता हैं तो इस वजह से कई बार स्टॉक महंगा और कई बार सस्ता लगता हैं उस स्टॉक की ट्रू वैल्यू निकलने में फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग किया जाता हैं ।
Fundamental Analysis वित्तीय अनुपात का विश्लेषण करके स्टॉक के आंतरिक मूल्य का पता लगाने की विधि है और उस विशेष कंपनी के शेयर मूल्य को प्रभावित करने वाले मैक्रो और माइक्रो कारक को जानना होता हैं। मूल रूप से एक मौलिक विश्लेषक कंपनी के शेयर की कीमत को प्रभावित करने वाले सभी कारकों को देखता और वित्तीय अनुपात, समाचार, शीर्ष प्रबंधन, नेतृत्व, ब्रांड मूल्य आदि का विश्लेषण करता है।
Types of Fundamental Analysis (Hindi)
Fundamental Analysis मूल रूप से दो प्रकार के होते है:
1.Quantitative Fundamental Analysis
Quantitative Fundamental Analysis ( मात्रात्मक मौलिक विश्लेषण ): इस प्रकार के मौलिक विश्लेषण में वित्तीय संख्याओं जैसे P/E Ratio (मूल्य से कमाई अनुपात), P/B Ratio (बुक अनुपात के लिए मूल्य) और इक्विटी अनुपात के ऋण जैसे महत्व अनुपात से किए जाते हैं।इन अनुपातों का मूल्यांकन करके Fundamental Analyst निवेश के लिए निर्णय लेते हैं।
2.Qualitative Fundamental Analysis
Qualitative Fundamental Analysis ( गुणात्मक मौलिक विश्लेषण ):- इस प्रकार के मौलिक विश्लेषण में कॉरपोरेट गवर्नेंस, मैनेजमेंट पॉलिसी, बिजनेस प्रॉस्पेक्टस और इंडस्ट्री फ्यूचर प्रॉस्पेक्टस और समकक्षों पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त आदि को महत्व दिया जाता है। इसमे देखा जाता हैं की कंपनी अपने सेक्टर में और अपने कॉम्पिटिटर से कैसे बेहतर हैं ।
इन दो बुनियादी Fundamental Analysis ( मौलिक विश्लेषणों ) का मूल्यांकन करके, मुख्य उद्देश्य उस क्षेत्र में उस विशेष कंपनी में निवेश के अवसर का पता लगाना है जिसमे कंपनी की भविष्य की सम्भावनाये देखी जाती हैं की कंपनी आगे भविष्य में कैसा प्रदर्शन करेगी । फाइनेंसियल रेश्यो की मदद से कंपनी के फाइनेंसियल हेल्थ का पता लगाया जाता हैं तथा कॉरपोरेट गवर्नेंस और मैनेजमेंट पालिसी से भविष्य में कंपनी को लेकर क्या प्लान हैं और क्या मैनेजमेंट सक्षम हैं उसे पूरा करने में ये सब भी एनालिसिस का एक हिस्सा होता हैं ।
Fundamental Analyst Approach for Investment
Fundamental Analyst किसी भी बिजनेस या कंपनी सिलेक्शन फॉर इन्वेस्टमेंट के लिए दो अप्रोच का इस्तेमाल करते हैं।
1.Top-Down Approach
Top-Down Approach : – इस दृष्टिकोण में विश्लेषण प्रक्रिया उस देश की अर्थव्यवस्था से शुरू होती है जैसे मुद्रास्फीति दर, जीडीपी डेटा और अन्य आर्थिक गतिविधि फिर वे विश्लेषण करते हैं कि कौन सा क्षेत्र Promising लग रहा है और इस क्षेत्र में कौन सा विशेष उद्योग प्रदर्शन कर रहा है और उद्योग में कौन सी कंपनी अपने Competitor की तुलना में बेहतर कर रही है। कंपनी की वित्तीय रिपोर्ट और मेट्रिक्स का विश्लेषण निवेश निर्णय लेने के लिए किया जाता है।
2.Bottom -Up Approach
Bottom-Up Approach : – इस दृष्टिकोण में विश्लेषण प्रक्रिया कंपनी के वित्तीय अनुपात और कंपनियों के वित्तीय स्वास्थ्य से शुरू होती है, जब सेक्टर या इंडेक्स प्रॉस्पेक्टस जैसे अन्य पैरामीटर देखे जाते हैं और फिर आर्थिक कारक देखें जाते हैं जो कंपनी के भविष्य को प्रभावित कर सकता है। निष्कर्ष: – मुख्य निष्कर्ष यह है कि वित्तीय विश्लेषण का उपयोग ठोस दृष्टिकोण से निवेश के अवसर की पहचान करने के लिए किया जाता है।
Fundamental Analysis कैसे करें |How to do Fundamental Analysis
Fundamental Analysis ने किसी कंपनी के शेयर मूल्य की पूरी तस्वीर दी हैं कि विभिन्न कारकों के आधार पर उस स्टॉक का उचित मूल्य क्या होना चाहिए। फंडामेंटल एनालिस्ट यह जानना चाहता है कि क्या कोई विशेष स्टॉक अपने मौजूदा बाजार मूल्य के संबंध में ओवरवैल्यूड या अंडरवैल्यूड है। किसी विशेष कंपनी पर निर्णय लेने के लिए वित्तीय अनुपात और फाइनेंसियल रिपोर्ट का विश्लेषण किया जाता है।
Fundamental Analysis आपको बैलेंस शीट, कैश फ्लो स्टेटमेंट और पी एंड एल रिपोर्ट का विश्लेषण करके बेहतर निवेश निर्णय लेने में मदद करता है और साथ में कंपनी के मैनेजमेंट की कंपनी को लेकर भविष्य में क्या योजनाए हैं इसको भी जाना जाता हैं और एक फ्यूचर पॉजेक्शन के आधार पे स्टॉक के वैल्यू देखी जाती हैं ।
कुछ महत्वपूर्ण रेश्यो जो देखे जाते हैं ।
P/E Ratio – Price to Earning ratio हमें बताता है कि कोई शेयर कितने महंगे या सस्ते दामों पर मिल रहा है P/E Ratio निकालने के लिए कंपनी की मौजूदा शेयर कीमत को उसके EPS यानी अर्निंग प्रति शेयर से विभाजित किया जाता है।
P/E Ratio= Share Current Price/EPS
EPS-Earning Per Share हमें बताता है कि कंपनी हर शेयर पे कितना मुनाफा कमा रही है। कंपनी का EPS जितना ज्यादा होगा शेयरधारकों के लिए उतना ही अच्छा होगा।
P/B Ratio-Price to Book Value हमें बताता है कोई शेयर अपनी बुक वैल्यू के कितना गुना सस्ता या महंगा हैं P/B Ratio जितना ऊपर होगा कंपनी के शेयर उतने ही महंगे माने जाएंगे और कम P/B Ratio होने का मतलब है कि कंपनी के शेयर अपने बुक वैल्यू के मुकाबले सस्ते में मिल रहे हैं।
P/B Ratio=Share Price/Book value
Book Value-Book Value हमें बताता है कि कंपनी सारे एसेट बेचने पर अपनी देनदारियों का कर्ज चुका देने के बाद कंपनी के पास जितने पैसे बचेंगे उसे कंपनी की बुक वैल्यू माना जाता है
Cash Flow Statement-किसी कंपनी द्वारा उसके काम और बाहरी निवेश स्रोतों से प्राप्त आय तथा सभी कैश इनफ्लो और सभी कैश आउटफ्लो को साझा करता है, जो किसी दी गई अवधि के दौरान व्यवसाय गतिविधियों और निवेशों के लिए प्राप्तः या भुगतान किया गया होता है।कंपनी का कैश फ्लो स्टेटमेंट एक बहुत ही महत्वपूर्ण वित्तीय स्टेटमेंट होता है। इससे पता चलता है कि कंपनी कितना कैश/नगदी कमा रही है।
Technical Analysis के बारे में जाने ?
Note-इस ब्लॉग लेख में जो जानकारी दी गयी हैं वो केवल इनफार्मेशन और एजुकेशन के लिए हैं किसी भी निवेश से पहले अपने फाइनेंसियल एडवाइजर से सलाह ले ।